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बांकुड़ा में पकड़ी गई बाघिन ज़ीनत, कोलकाता चिड़ियाघर के अस्पताल में उपचाराधीन

ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व से पश्चिम बंगाल पहुंची बाघिन ज़ीनत, बांकुड़ा जिले में पकड़ी गई है। ये फिलहाल कोलकाता के अलीपुर चिड़ियाघर के पशु चिकित्सा अस्पताल में है।

अधिकारियों ने बताया कि ज़ीनत स्वस्थ है और उसकी देखभाल विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में की जा रही है।

पश्चिम बंगाल के वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को जानकारी दी कि तीन वर्षीय बाघिन को रविवार दोपहर बेहोश करने वाले इंजेक्शन के जरिए पकड़ा गया। उसे रात के समय बांकुड़ा से कोलकाता लाया गया। अस्पताल पहुंचने पर उसकी स्वास्थ्य जांच की गई। सोमवार सुबह तीन पशु चिकित्सकों और चिड़ियाघर कर्मियों ने दोबारा उसका परीक्षण किया।

अधिकारियों के अनुसार, ज़ीनत बीते 21 दिनों से ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के जंगलों में भटक रही थी। इस दौरान उसे भोजन की कमी के कारण तनाव और थकावट का सामना करना पड़ा। वन विभाग ने बताया कि इन परिस्थितियों और बेहोश करने के लिए दी गई दवा के प्रभाव के चलते उसे अभी आराम की जरूरत है।

ज़ीनत को अलीपुर चिड़ियाघर पहुंचने पर भैंस के मांस का आहार दिया गया। सामान्य स्थिति में एक वयस्क बाघ को प्रतिदिन चार से छह किलोग्राम मांस की आवश्यकता होती है। हालांकि, अधिकारियों ने उसके भोजन की मात्रा का खुलासा नहीं किया।

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सिमलीपाल लौटने में लगेगा समय

वन विभाग के अनुसार, ज़ीनत को फिलहाल सिमलीपाल वापस भेजने में समय लगेगा। अधिकारी उसकी स्थिति पर नियमित रूप से नजर रख रहे हैं और ओडिशा वन विभाग से समन्वय बनाए हुए हैं।कैसे पकड़ी गई ज़ीनत ?

आठ दिसंबर को सिमलीपाल रिज़र्व से निकलने के बाद, ज़ीनत ने लगभग 120 किलोमीटर की दूरी तय की, जिसमें पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा के जंगल शामिल थे। बांकुड़ा जिले के गोपालपुर जंगल में उसे डबल नेटिंग से घेरकर पकड़ा गया।

पकड़ने के दौरान उसे केवल एक बेहोशी का डार्ट लगाया गया, जिसके बाद उसका स्वास्थ्य परीक्षण कर उसे बांकुड़ा से कोलकाता लाया गया। रास्ते में पुलिस और वन विभाग के काफिले ने उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की।

महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी टाइगर रिज़र्व से सिमलीपाल लाई गई ज़ीनत को टाइगर रिज़र्व में नए जीन पूल की शुरुआत के लिए बसाया गया था। हालांकि, उसने जंगलों में भटकते हुए कई घरेलू बकरियों का शिकार किया। अधिकारियों ने उसे पकड़ने के लिए ड्रोन और पिंजरे जैसे कई प्रयास किए, लेकिन घने जंगलों के कारण उसे पकड़ना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।

वन विभाग ने बताया कि ज़ीनत को अब स्थिर स्वास्थ्य स्थिति में लाने के लिए समय और विशेष देखभाल की आवश्यकता होगी।

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